Bahubali Bhagwan Ki Aarti | बाहुबली भगवान की आरती – जैन धर्म में बाहुबली भगवान को बहुत अधिक धार्मिक मान्यता है. श्री बाहुबली भगवान जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी के पुत्र थे.
अपने बड़े भाई भरत से युद्ध के पश्चात उन्हें वैराग्य हो गया. और उन्होंने कठिन तपस्या की. इससे बाहुबली जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे मुनि बन गए.
हमारे देश भारत के कर्नाटक राज्य के श्रवणबेलगोला में श्री बाहुबली जी की 57 फिट ऊँची भव्य प्रतिमा है.
चलिए अब हम श्री बाहुबली भगवान जी की आरती करतें हैं.
Bahubali Bhagwan Ki Aarti | बाहुबली भगवान की आरती
|| श्री बाहुबली जी की आरती ||
चंदा तू ला रे चंदनिया, सूरज तू ला रे किरणां …….. (2)
तारा सू जड़ी रे थारी आरती रे बाबा नैना संवारूं …….. (2)
थारी आरती ……. चंदा तू ……….
आदिनाथ का लाड़ला जी नंदा मां का जाया …….. (2)
राजपाट ने ठोकर मारी, छोड़ी सारी माया …….. (2)
बन ग्या अहिंसाधारी, बाहुबली अवतारी
तारा सू जड़ी रे थारी आरती, रे बाबा नैना संवारूं …….. चंदा तू ………
तन पे बेला चढ़ी नाथ के, केश घोंसला बन गया …….. (2)
अडिग हिमालय ठाड्या तनके, टीला-टीला चमक्या …….. (2)
थारी तपस्या भारी, तनमन सब थापे वारी
तारां सू जड़ी रे थारी आरती, रे बाबा नैना संवारूं …….. चंदा तू ………
जय-जय जयकारा गावें थारा, सारा ये संसारी …….. (2)
मुक्ति को मार्ग बतलायो, घंण-घंण ए अवतारी …….. (2)
‘नेमजी’ चरणों में आयो, चरणां में शीश झुकायो
जुग-जुग उतारे थारी आरती रे, रे बाबा नैना संवारूं॥
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विडियो
भगवान बाहुबली जी से संबंद्धित कुछ यूट्यूब विडियो हमने निचे दिए हुए हैं. आप इन विडियो को जरुर देखें.
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श्री बाहुबली भगवान जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी के पुत्र थे. अपने बड़े भाई भरत चक्रवर्ती से युद्ध के पश्चात श्री बाहुबली जी को वैराग्य हो गया. उन्होंने कठिन तपस्या प्रारभ कर दी. इससे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई.
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