Manibhadra Veer Ji Ki Aarti | मणिभद्र वीर जी की आरती – इस पोस्ट में हमने मणिभद्र वीर जी की स्तुति के लिए 3 प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण आरतियों का प्रकाशन किया है.
आप किसी भी आरती के माध्यम से श्री मणिभद्र वीर जी की आराधना और स्तुति कर सकतें हैं.
Manibhadra Veer Ji Ki Aarti | मणिभद्र वीर जी की आरती – रूमज़ूम रूमजूम करु आरती माणिभद्र साहेब तोरी
|| श्री मणिभद्र वीर जी की आरती ||
रूमज़ूम रूमजूम करु आरती माणिभद्र साहेब तोरी,
सबल विघनका नाश करी, इच्छा पूरी साहेब तू मेरी.
मस्तक तुमारे मुगट बिराजे, कुंडल की शोभा भारी,
पाय घुंघरु रूमजूम बाजे, जिनमंदिर शोभा भारी.
पहेले हाथमें गदा बिराजे, दूसरे हाथ डमरू,
तीसरे हाथ त्रिशूल बिराजे, चौथे हाथ घुंघरु.
खिचड़ी भात ने रोटी लापसी पुरण की पोली,
अमृत साथ लेउ मिसरी, खीर खांड़ ने धनथोली.
खांजा, लाड़ू, दहीवड़ा ने पापड़ ने पूडी,
घेबर मागे सेव सवालां, बादाम पिस्ता चारोली.
श्याम सुंदर यु कर बोले, सुनो माणिभद्र स्वामी,
तुमारे चरण की सेवा शोभे हो मुजने सारे नमी.
Manibhadra Aarti | मणिभद्र आरती – जय जय आरति माणिभद्र ईन्द्रा
|| श्री मणिभद्र वीर जी की आरती ||
जय जय आरति माणिभद्र ईन्द्रा,
बावन वीर शीर मुगट जडींद्रा ।
तपगच्छ अधिष्ठायक विख्याता
अतिय विघन दुःख हरो विधाता ।
तुम सेवकनां संकट चुरो,
मन वंछित सुख संपदा पूरो ।
खडग त्रिशूल डमरु गाजे,
मृगदल अंकुश नाग विराजे ।
षट् भूजा गज वाहन सुन्दर,
लोढी पोशाल संघ वृद्धि पुरन्दर ।
विनये श्री आणंद सुरिधीर,
आशा पूरा मगरवाडिया वीर,
आशा पूरा उज्जनीया वीर,
आशा पूरा आगलोडीया वीर ।
Manibhadra Veer Ki Aarti | मणिभद्र वीर की आरती – जय जय निधि, जय माणिक देवा, जय माणिक देवा
|| श्री मणिभद्र वीर जी की आरती ||
जय जय निधि, जय माणिक देवा, जय माणिक देवा,
हरिहर ब्रह्म पुरंदर, करता तुज सेवा, जयदेव जयदेव.
तू वीराधिवीरा, तू वांछित दाता, तू वांछित दाता.
माता-पिता सहोदर स्वामी, छो प्रभु जगतत्रा. जयदेव जयदेव.
हरि करी बंधन उदधि, फनिधर अरिअनला,
ऐ तुज नामें नासे, साते भय सबाला. जयदेव जयदेव.
डाक त्रिशूल फूलमाला, पाशांकुश छाजे,
एक कर दानव मस्तक, एम षट भुजराजे. जयदेव जयदेव.
तु भैरव तू किंनर, तु जग महा दिवो तु जग महा दिवो,
काम कल्पतरु धनु, तु प्रभु चिरंजिवो. जयदेव जयदेव.
तपगच्छपति सूरी ध्यावे तुज ध्यानं,
माणिभद्र भद्रांकर, आशा विसरामं, जयदेव जयदेव.
सावंत अठारसें पासंठ, श्री माधव मास.
दीप विजय कविरायनी, पुरो सर्व आश. जयदेव जयदेव.
विडियो
श्री मणिभद्र वीर जी की आरती यूट्यूब विडियो हमने इस पोस्ट में यहाँ दिया हुआ है. इन विडियो को देखने के लिए आपको सिर्फ प्ले बटन दबाना है.
विडियो श्रोत – यूट्यूब
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There are three aartis of Manibhadra Deva, which is correct? and more popular ??
(1)|| श्री मणिभद्र वीर जी की आरती ||
रूमज़ूम रूमजूम करु आरती माणिभद्र साहेब तोरी,
(2)जय जय आरति माणिभद्र ईन्द्रा,
बावन वीर शीर मुगट जडींद्रा ।
(3)जय जय निधि, जय माणिक देवा, जय माणिक देवा,
हरिहर ब्रह्म पुरंदर, करता तुज सेवा, जयदेव जयदेव.