Padamprabhu Chalisa पदम प्रभु चालीसा पद्मप्रभ जी की स्तुति

Padamprabhu Chalisa – In this post we are publishing Chalisa for the worship of Shri Padmaprabh, the sixth Tirthankara of Jainism. Recite Shri Padma Prabhu Chalisa with reverence and devotion.

पदमप्रभु चालीसा – इस पोस्ट में हम जैन धर्म के छठे तीर्थंकर श्री पद्मप्रभ जी की आराधना और स्तुति के लिए चालीसा का प्रकाशन कर रहें हैं. आप सब सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री पदम प्रभु चालीसा का पाठ करें.

भगवान श्री पद्मप्रभ जी जैन धर्म के छठे तीर्थंकर हैं. इन्होने इक्ष्वाकु वंश में जन्म लिया था. इनके पिता का नाम श्रीधर धरण राज और माता का नाम सुसीमा था.

श्री पद्मप्रभ जी ने अहिंसा की शिक्षा दी है.

कंटेंट्स
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    Padamprabhu Chalisa पदमप्रभु चालीसा

    || श्री पद्मप्रभ चालीसा ||

    शीश नवा अर्हंत को सिद्धन करुं प्रणाम |
    उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ||

    सर्व साधु और सरस्वती जिन मन्दिर सुखकार |
    पद्मपुरी के पद्म को मन मन्दिर में धार ||

    जय श्रीपद्मप्रभु गुणधारी, भवि जन को तुम हो हितकारी |
    देवों के तुम देव कहाओ, पाप भक्त के दूर हटाओ ||

    तुम जग में सर्वज्ञ कहाओ, छट्टे तीर्थंकर कहलाओ |
    तीन काल तिहुं जग को जानो, सब बातें क्षण में पहचानो ||

    वेष दिगम्बर धारणहारे, तुम से कर्म शत्रु भी हारे |
    मूर्ति तुम्हारी कितनी सुन्दर, दृष्टि सुखद जमती नासा पर ||

    क्रोध मान मद लोभ भगाया, राग द्वेष का लेश न पाया |
    वीतराग तुम कहलाते हो, ; सब जग के मन को भाते हो ||

    कौशाम्बी नगरी कहलाए, राजा धारणजी बतलाए |
    सुन्दरि नाम सुसीमा उनके, जिनके उर से स्वामी जन्मे ||

    कितनी लम्बी उमर कहाई, तीस लाख पूरब बतलाई |
    इक दिन हाथी बंधा निरख कर, झट आया वैराग उमड़कर ||

    कार्तिक वदी त्रयोदशी भारी, तुमने मुनिपद दीक्षा धारी |
    सारे राज पाट को तज के, तभी मनोहर वन में पहुंचे ||

    तप कर केवल ज्ञान उपाया, चैत सुदी पूनम कहलाया |
    एक सौ दस गणधर बतलाए, मुख्य व्रज चामर कहलाए ||

    लाखों मुनि आर्यिका लाखों, श्रावक और श्राविका लाखों |
    संख्याते तिर्यच बताये, देवी देव गिनत नहीं पाये ||

    फिर सम्मेदशिखर पर जाकर, शिवरमणी को ली परणा कर|
    पंचम काल महा दुखदाई, जब तुमने महिमा दिखलाई ||

    जयपुर राज ग्राम बाड़ा है, स्टेशन शिवदासपुरा है |
    मूला नाम जाट का लड़का, घर की नींव खोदने लागा ||

    खोदत-खोदत मूर्ति दिखाई, उसने जनता को बतलाई |
    चिन्ह कमल लख लोग लुगाई, पद्म प्रभु की मूर्ति बताई ||

    मन में अति हर्षित होते हैं, अपने दिल का मल धोते हैं |
    तुमने यह अतिशय दिखलाया, भूत प्रेत को दूर भगाया ||

    भूत प्रेत दुःख देते जिसको, चरणों में लेते हो उसको |
    जब गंधोदक छींटे मारे, भूत प्रेत तब आप बकारे ||

    जपने से जब नाम तुम्हारा, भूत प्रेत वो करे किनारा |
    ऐसी महिमा बतलाते हैं, अन्धे भी आंखे पाते है ||

    प्रतिमा श्वेत-वर्ण कहलाए, देखत ही हिरदय को भाए |
    ध्यान तुम्हारा जो धरता है, इस भव से वह नर तरता है ||

    अन्धा देखे, गूंगा गावे, लंगड़ा पर्वत पर चढ़ जावे |
    बहरा सुन-सुन कर खुश होवे, जिस पर कृपा तुम्हारी होवे||

    मैं हूं स्वामी दास तुम्हारा, मेरी नैया कर दो पारा |
    चालीसे को ‘चन्द्र’ बनावे, पद्म प्रभु को शीश नवावे ||

    सोरठा

    नित चालीसहिं बार, पाठ करे चालीस दिन |
    खेय सुगन्ध अपार, पद्मपुरी में आय के ||

    होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो |
    जिसके नहिं सन्तान, नाम वंश जग में चले ||

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    विडियो

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    श्री पदम प्रभु चालीसा (Shri Padamprabhu Chalisa)

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