Parshwanath Aarti – श्री पार्श्वनाथ भगवान की आरती – जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान की आरती का प्रकाशन इस पोस्ट में किया गया है.
भगवान श्री पार्श्वनाथ जी का जन्म इक्ष्वाकु वंश में वाराणसी में हुआ था. इनके पिता राजा अश्वसेन थे और इनकी माता रानी वामादेवी थी.
श्री पार्श्वनाथ जी ने तीस वर्ष की आयु में अपना घर त्याग दिया था.
इन्होने सम्मेद शिखर पर मोक्ष को प्राप्त किया.
भगवान श्री पार्श्वनाथ जी की आराधना के लिए आप Shri Parshwanath Chalisa का पाठ भी अवस्य करें.
Parshwanath Aarti – श्री पार्श्वनाथ भगवान की आरती
|| तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ जी की आरती ||
ॐ जय पारस देवा स्वामी जय पारस देवा,
सुर नर मुनिजन तुम चरणन की करते नित सेवा |
पौष वदी ग्यारस काशी में आनंद अतिभारी,
अश्वसेन वामा माता उर लीनों अवतारी |
ॐ जय पारस देवा ………..
श्यामवरण नवहस्त काय पग उरग लखन सोहैं,
सुरकृत अति अनुपम पा भूषण सबका मन मोहैं |
ॐ जय पारस देवा ………..
जलते देख नाग नागिन को मंत्र नवकार दिया,
हरा कमठ का मान, ज्ञान का भानु प्रकाश किया |
ॐ जय पारस देवा ………..
मात पिता तुम स्वामी मेरे, आस करूँ किसकी,
तुम बिन दाता और न कोई, शरण गहूँ जिसकी |
ॐ जय पारस देवा ………..
तुम परमातम तुम अध्यातम तुम अंतर्यामी,
स्वर्ग-मोक्ष के दाता तुम हो, त्रिभुवन के स्वामी |
ॐ जय पारस देवा ………..
दीनबंधु दु:खहरण जिनेश्वर, तुम ही हो मेरे,
दो शिवधाम को वास दास, हम द्वार खड़े तेरे |
ॐ जय पारस देवा ………..
विपद-विकार मिटाओ मन का, अर्ज सुनो दाता,
सेवक द्वै-कर जोड़ प्रभु के, चरणों चित लाता |
ॐ जय पारस देवा ………..
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विडियो
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भगवान श्री पार्श्वनाथ जी का जन्म वाराणसी में इक्ष्वाकु वंश के राज परिवार में हुआ था.
श्री पार्श्वनाथ जी के माता का नाम रानी वामादेवी और पिता का नाम राजा अश्वसेन था.
तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ जी ने सत्य, अहिंसा, अस्तेय और अपरिग्रह की शिक्षा दी थी.
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