Shri Gyan Chalisa – श्री ज्ञान चालीसा का जैन धर्म में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है. जैन धर्म के अनुयायी भक्तिपूर्वक श्री ज्ञान चालीसा का पाठ करतें हैं.
तो चलिए श्रद्धा और भक्ति के साथ हम सब श्री ज्ञान चालीसा का पाठ आरंभ करतें हैं.
Shri Gyan Chalisa – श्री ज्ञान चालीसा
पानी पीवे छान कर, जीव जन्तु बच जाय |
जीव दया अति पुण्य हैं, रोग निकट नहि आय ||
झूठे पुरुषो से कभी, कोई न करता प्रीत |
सच्चे आदर पाते है, जग जस लेते जीत ||
चोर नित्य चोरी करे, रहे न कुछ भी पास |
वनों पहाड़ो भागते, दुःख पावे दिन रात ||
सेय पराई नार को, तन मन धन को खोत |
फिर भी सुख मिला नहीं, मौत भयानक लेत ||
जोड़ जोड़ संचय करे, परिग्रह अपरम्पार |
कितने दिन है जीवना, क्यों नित ढोते भार ||
कुटुम्ब मोह का जाल है, कोई न जावे साथ |
भला बुरा जो कर गया, बनी रहेगी गाथ ||
बीड़ी मदिरा पीवना, नहीं भलो का काम |
भंग आदि की लत बुरी, क्यों होते बदनाम ||
रोगी तन को ठीक कर, ब्रह्मचर्य को पाल |
बिन पैसों की यह दवा, दूर भगावे काल ||
मरा कौन सब पूछते, पूछ भुलाते बात |
चाल चूक शतरंज की, हो जाती है मात ||
सुख दुःख नित ही देखते, क्यों न लगावे ध्यान |
चिन्ता को अब छोड़कर, धारो सम्यक ज्ञान ||
कितने दिन का जीवना, कितने दिन की चाह |
ज्ञानी लेखा सोच ले, मौलिक जीवन जांह ||
ऊपर से धर्मी बने, भीतर शुद्ध न एक |
रात दिवस इत उत फिरे, किस विधि रहती टेक ||
कारज को करते चलो, तन मन वश में राख |
होगी निश्चय ही विजय, विपदा आवे लाख ||
पाप अनेको ही किये, मुक्ति किस विधि होय |
छुटेंगे जंजाल सब, पाप मैल सब धोय ||
झूठे स्वार्थ को छोडकर, सत को उर में धार |
इस भव में शोभा बढे, आगे बेडा पार ||
पहले निज हो शुद्ध कर, पीछे पर उपदेश |
जो कहते करते नहीं, वे पाते हैं क्लेश ||
भीतर देह घिनावनी, रोगों का हैं धाम |
जब तक परदा ठीक है, करले अपना काम ||
देख बुढ़ापे की दशा, थर थर कांपे गात |
बुरे बुरे दिन बीतते, कोई न सुनता बात ||
पता किसी को न पड़े, कब आयेगा काल |
क्यों माया में उलझता, हैं मकड़ी का जाल ||
क्यों आया क्या कर गया, ज्ञानी पूछे बात |
लेखा कैसे देयगा, क्या ले जाता हाथ ||
पापी तू तिर जाएगा, निश्चय ही यह मान |
पीछे की मत याद कर, आगे को पहचान ||
आये वो सब जायेंगे जग की यह हैं रीत |
थोड़े स्वार्थ के लिए, क्यों गाता है गीत ||
चाहे जितना हो भला, सुख दुःख का नहीं मेल |
कब दुःख कब सुख आ पड़े, देख जगत का खेल ||
रोग नहीं हैं छोड़ता, पापी हो या सन्त |
इससे बचने के लिए, पकड़ो आत्म कंत ||
घूम रहा संसार में, कर कर उल्टी बात |
अब भी चेतन सोच ले, तज पुदगल का तात ||
वृषशाला दिन तीन की, नए मुसाफिर आत |
तू कब तक रह पायेगा, सोच ज्ञान की बात ||
नाम जगत में करन को, रूपये खर्चे लाख |
सच्ची सेवा के बिना, जम न सकेगी साख ||
मुर्ख | जवानी जोर में, किये पाप बहुघोर |
अब भी चेतन चेतजा, विषय धर्म के चोर ||
बीती ताहि विसार दे, आगे की सुध लेय |
प्याला विष का छोड़कर, आत्म अमृत सैय ||
जीना मरना एकसा, मनुष्य जन्म को पाय |
आकर कुछ भी न किया, झूठा रुदन मचाय ||
गन्धक में पारा मिला, तपे पृथक हो जाय |
इसी तरह यह आत्मा, तन जड़ से हट जाय ||
क्रोध, कषाय हैं बुरा, समझो इसको आप |
मिनटों में झट मारता, गिने न माँ या बाप ||
शास्त्र अनेको ही सुने, दिया न असली ध्यान |
पोथी पढ़ पढ़ रह गये, उर में हुआ न ज्ञान ||
न्यारे न्यारे पन्थ यह, हट की करते बात |
सत कोई ना खोजता, मारग कैसे पात ||
अहंकार के कारने, लड़ते दिन व रात |
घर को नरक बना दिया, तदपि छुटी न बात ||
लक्ष्मी चंचल है अति, सदा न रहती साथ |
दान न कोडी कर सका, जाता खाली हाथ ||
सेवा जननी जनक की, तीरथ है घर माही |
क्यों जग में खोजत फिरे, कल्प तरु की छांह ||
पुण्य चीज़ कुछ ओर हैं, धर्म मोक्ष कुछ ओर |
पुण्य जगत का खेल हैं, धर्म मोक्ष की ठोर ||
होनी है सो होयेगी, मन में धीरज धार |
झूठा शकुन विचारता, क्या पावेगा पार ||
दुःख से बचने के लिए, छोड़ो पर की आस |
आत्म बल सबसे बड़ा, सदा तुम्हारे पास ||
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Video
Shri Gyan Chalisa श्री ज्ञान चालीसा विडियो के लिए हमने यूट्यूब से विडियो यहाँ दिया हुआ है. इस विडियो को आप सब भक्तिपूर्वक देखें.
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