Siddhachakra Aarti | सिद्धचक्र आरती – सिद्धचक्र का जैन धर्म में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है. सिद्धचक्र को अत्यंत ही पवित्र और शुभ माना जाता है.
इस पोस्ट में हम सिद्धचक्र की आरती का प्रकाशन कर रहें हैं. सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भावना के साथ सिद्धचक्र की आरती करिये.
Siddhachakra Aarti | सिद्धचक्र आरती
|| सिद्धचक्र की आरती ||
जय सिद्धचक्र देवा, जय सिद्धचक्र देवा |
करत तुम्हारी निश-दिन, मन से सुर-नर-मुनि सेवा |
जय सिद्धचक्र देवा ……
ज्ञानावरणी दर्शनावरणी मोह अंतराया,
नाम गोत्र वेदनीय आयु को नाशि मोक्ष पाया |
जय सिद्धचक्र देवा ……
ज्ञान-अनंत अनंत-दर्श-सुख बल-अनंतधारी,
अव्याबाध अमूर्ति अगुरुलघु अवगाहनधारी |
जय सिद्धचक्र देवा ……
तुम अशरीर शुद्ध चिन्मूरति स्वात्मरस-भोगी,
तुम्हें जपें आचार्योपाध्याय सर्व-साधु योगी |
जय सिद्धचक्र देवा ……
ब्रह्मा विष्णु महेश सुरेश, गणेश तुम्हें ध्यावें,
भवि-अलि तुम चरणाम्बुज-सेवत निर्भय-पद पावें |
जय सिद्धचक्र देवा ……
संकट-टारन अधम-उधारन, भवसागर तरणा,
अष्ट दुष्ट-रिपु-कर्म नष्ट करि, जन्म-मरण हरणा |
जय सिद्धचक्र देवा ……
दीन दु:खी असमर्थ दरिद्री, निर्धन तन-रोगी,
सिद्धचक्र का ध्यान भये ते, सुर-नर-सुख भोगी |
जय सिद्धचक्र देवा ……
डाकिनि शाकिनि भूत पिशाचिनि, व्यंतर उपसर्गा,
नाम लेत भगि जायँ छिनक, में सब देवी दुर्गा |
जय सिद्धचक्र देवा ……
बन रन शत्रु अग्नि जल पर्वत, विषधर पंचानन,
मिटे सकल भय,कष्ट हरे, जे सिद्धचक्र सुमिरन |
जय सिद्धचक्र देवा ……
मैनासुन्दरि कियो पाठ यह, पर्व-अठाइनि में,
पति-युत सात शतक कोढ़िन का, गया कुष्ठ छिन में |
जय सिद्धचक्र देवा ……
कार्तिक फाल्गुन साढ़ आठ दिन, सिद्धचक्र-पूजा,
करें शुद्ध-भावों से ‘मक्खन’, लहे न भव-दूजा |
जय सिद्धचक्र देवा ……
ज्ञानावरणी दर्शनावरणी मोह अंतराया,
नाम गोत्र वेदनीय आयु को नाशि मोक्ष पाया |
जय सिद्धचक्र देवा ……
ज्ञान-अनंत अनंत-दर्श-सुख बल-अनंतधारी,
अव्याबाध अमूर्ति अगुरुलघु अवगाहनधारी |
जय सिद्धचक्र देवा ……
तुम अशरीर शुद्ध चिन्मूरति स्वात्मरस-भोगी,
तुम्हें जपें आचार्योपाध्याय सर्व-साधु योगी |
जय सिद्धचक्र देवा ……
ब्रह्मा विष्णु महेश सुरेश, गणेश तुम्हें ध्यावें,
भवि-अलि तुम चरणाम्बुज-सेवत निर्भय-पद पावें |
जय सिद्धचक्र देवा ……
संकट-टारन अधम-उधारन, भवसागर तरणा,
अष्ट दुष्ट-रिपु-कर्म नष्ट करि, जन्म-मरण हरणा |
जय सिद्धचक्र देवा ……
दीन दु:खी असमर्थ दरिद्री, निर्धन तन-रोगी,
सिद्धचक्र का ध्यान भये ते, सुर-नर-सुख भोगी |
जय सिद्धचक्र देवा ……
डाकिनि शाकिनि भूत पिशाचिनि, व्यंतर उपसर्गा,
नाम लेत भगि जायँ छिनक, में सब देवी दुर्गा |
जय सिद्धचक्र देवा ……
बन रन शत्रु अग्नि जल पर्वत, विषधर पंचानन,
मिटे सकल भय,कष्ट हरे, जे सिद्धचक्र सुमिरन |
जय सिद्धचक्र देवा ……
मैनासुन्दरि कियो पाठ यह, पर्व-अठाइनि में,
पति-युत सात शतक कोढ़िन का, गया कुष्ठ छिन में |
जय सिद्धचक्र देवा ……
कार्तिक फाल्गुन साढ़ आठ दिन, सिद्धचक्र-पूजा,
करें शुद्ध-भावों से ‘मक्खन’, लहे न भव-दूजा |
जय सिद्धचक्र देवा ……
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विडियो
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